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Hollow Moon Conspiracy Theory Explained In Hindi

Hollow Moon Conspiracy Theory: हमारी पृथ्वी का इकलौता प्राकृतिक उपग्रह यानी कि हमारा चांद Ancient Time से Modern Time यानी कि आज तक भी रहस्यों से भरा पड़ा है, और हम इंसानों के मन में भी इसे लेकर कई सवाल हैं क्योंकि शुरुआत से ही हम इसे अपनी धरती के इतने नजदीक देखे आए हैं तो एक उत्सुकता इसे लेकर इंसानों में हमेशा से रही है हमारे चांद को लेकर हमारे कुछ सवाल बहुत Genuine है। जैसे कि चांद आखिर आया कहां से है? हालांकि इस सवाल का कोई एक उत्तर हमारे पास नहीं है।

अलग-अलग Scientific Communities अपने अलग-अलग तर्कों से कई सवालों का जवाब देती हैं, लेकिन यहां पर विज्ञान के दायरे में रहकर जवाब दिए जाते हैं। जैसे कि कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि चांद भी किसी एस्टेरॉइड जैसा ही था, वह अपने रास्ते पर चलते-चलते जब धरती के ज्यादा करीब आ गया, तो वह इसकी ग्रेविटी में फंसकर इसका चक्कर लगाने लगा। वहीं कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि चांद का निर्माण, पृथ्वी से किसी एस्टेरॉइड के टकराने की वजह से हुआ था। कुछ मानते हैं कि चांद धरती का ही टूटा हुआ हिस्सा है। किसी तरह से टूटकर वह हमसे अलग हो गया है, लेकिन सबसे ज्यादा Accepted Theory Giant Impact Hypothesis है, जिसमें मंगल जितना बड़ा Theia नाम का एक प्लेनेट हमारी पृथ्वी से टकरा गया था जिससे हमारे चांद का निर्माण हुआ।

लेकिन जब कभी हम इंसान इस कुदरत को समझ नहीं पाए किसी घटना के पीछे विज्ञान को नहीं समझ पाए या उसकी पूरी इनफार्मेशन हमारे पास नहीं होती तो उसे घटना को राशनलाइज करने के लिए जन्म होता है कंस्पायरेसी थिअरीज का हमारा चांद एक हलो मून है यानी यह अंदर से खोखला है इतना ही नहीं हमारे चांद पर कुछ अजीब तरह की एलियन स्पीशीज भी रहती है और दवा तो यह भी है की चंद एक एलियन टेक्नोलॉजी की बेमिसाल स्पेसिफिक है यह कुछ कांस्टीट्यूएंसी थ्योरी है हमारे चांद को लेकर जो कहीं ना कहीं विज्ञान के दायरे से बाहर दिखाई पड़ती है इन कंस्पायरेसी थिअरीज का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं लेकिन दिलचप जरूर है।

Hollow Moon Theory In Novels

बात है सन 1741 की, लेखक Ludwig Hallberg एक नॉवेल publish करते हैं जिसका टाइटल था Niels kilm का अंडरग्राउंड ट्रैवल यह एक Science fiction novel था।

इस Novel की कहानी का मुख्य किरदार 1666 मे Norway की कुछ गुफाओं को एक्स्प्लोर करता है, और अचानक वह इंसान एक गुफा में गिर जाता है। वह बताता है कि उसे लगा जैसे कि वह एक एकदम freefall कर रहा हो, जैसे कि स्पेस में होता है, और फिर वह जमीन पर गिर जाता है। वह वहां पर धरती के अंदर की दुनिया की सैर करता है।

उस समय दुनिया में पहली बार लोगों ने धरती के अंदर की दुनिया के बारे में सुना और बहुत से लोग इस Conspiracy Theory पर विश्वास करने लगे, क्योंकि Hallberg नें बड़ी ही चालाकी से अपनी किताब की सबसे पहली लाइन यह लिखी थी कि इस कहानी में बताई गई सारी घटनायें एकदम सच है, और अपनी बात पर वजन डालने के लिए उन्होंने Indisputably true जैसे शब्द का इस्तेमाल किया, Hollow Moon Theory की जड़े भी इस नॉवेल से निकली हैं।

Hollow Moon Base

सन 1901 में HG Wells जिन्हें आज Father of Science Fiction माना जाता है वह एक नॉवेल पब्लिश करते हैं “द फर्स्ट मैन इन द मून” जिसमें Hells चांद पर की गई एक journey को लिखते हैं। याद रहे कि यह 1901 का वक्त था, उस समय ना तो कोई Manned Moon Mission हुआ था, और ना ही ऐसी कोई चर्चा हो रही थी।

नॉवेल का Main character चांद पर जाता है, और वहां पर उतरकर देखता है कि चांद को जैसा हम समझते है यह वैसा बिलकुल भी नहीं है। यह Hollow Moon है यानी कि खोखला है और यहां पर रहा जा सकता है। वह चांद पर एक अजीब Alien Species को भी खोजता है, जो वहां पर न जाने कितने समय से रह रही थी।

हालांकि यह एक science fiction नॉवेल ही था, लेकिन यह कहानी नासा के चांद पर उतरने से करीब 60 साल पहले लोगों के बीच आ चुकी थी।

Humans on the Moon

अब वक्त आता है 1959 का, अपोलो 11 में उड़ान भर कर मानव सभ्यता ने पहली बार चांद पर कदम रखा। Neil Armstrong और buzz Aldrin अब चांद पर थे, लेकिन Hollow Moon जैसा उन्हें वहां पर कुछ देखने को नहीं मिला, लेकिन फिर भी Hollow Moon की थ्योरी ने बाद में जोर कैसे पकड़ा। इसके पीछे भी एक बहुत बड़ी misunderstanding रही है।

Apollo 11 के astronaut तो धरती पर सही सलामत वापस आ चुके थे, लेकिन चांद पर वह काफी सारी scientific चीजें छोड़कर आये थे जिनमें धरती से चाँद की दूरी नापने वाले Retroreflector से लेकर बहुत से scientific instruments मौजूद थे।

इसके बाद 1959 में नासा का अपोलो 12 मिशन चांद पर उतरता है, इस बार नासा के researchers मून की composition के बारे में जान जानना चाहते थे। astronaut Pete Conrad और Alan Bean चांद की सतह पर एक passive seismic experiment को सेटअप करते हैं, जोकि कि Apollo lunar surface experiment package नाम के मिशन का हिस्सा होता है।

अपने सारे मिशन को खत्म करके जब Apollo 12 astronauts वापस अपने command Module में आकर बैठ जाते हैं टो वो अपने लूनर मोड्यूल को जानबूझकर मून की एक surface पर क्रेश कर देते हैं, जिसकी वजह से मोड्यूल चाँद की सतह से टकरा जाता है।

यह इंपैक्ट 1 ton tnt के विस्फोट के बराबर था और इसने Moon Quake को trigger कर दिया यानी चांद पर आने वाले भूकंप। पहली बार चांद पर इंसानों की वजह से भूकंप आया था, उसकी सतह पर लगे passive seismic experiment unit ने इस पूरे दाता को रिकॉर्ड कर लिया और जब धरती पर मौजूद वैज्ञानिकों ने यह देखा तो उनके होश उड़ गए।

जहां धरती पर भूकंप की बड़ी से बड़ी vibration 30sec और ज्यादा से ज्यादा 2 मिनट तक रहती है, चांद पर यह vibration लगातार हुए लगातार हुए जा रही थी। नासा ने अपना यह एक्सपेरिमेंट जारी रखा, क्योंकि यह अजीब था। लेकिन अपोलो 13, 14, 15 और 16 मिशन का डाटा और उनके परिणाम एक जैसे ही थे। आखिर क्यों चांद इतनी देर तक वाइब्रेट कर रहा था? इसने वैज्ञानिकों और विज्ञान में रुचि रखने वालों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया, लेकिन इस Mistry को समझने से पहले आपको Moon Quakes को जानना होगा।

Apollo 12 में passive seismic experiment seismometer चांद पर रखा गया था, उसने प्राकृतिक और मानव निर्मित सभी तरह के Moon Quakes को रिकॉर्ड किया और 1977 तक ये डिवाइस एक्टिव रहा।

इससे पता चलता है कि चांद पर भूकंप आमतौर पर आते रहते हैं, हम जानते हैं कि चांद पर कोई वातावरण नहीं है इसलिए asteroids चांद से टकराते रहते हैं, जोकि आगे चलकर वहां पर Moon Quakes का कारण बन जाते है।

Moon Quakes कितने तरह के होते हैं

डाटा के आधार पर Moon Quakes को चार भागों में बांटा गया है

  1. Deep sub 700 km Quakes
  2. Meteorite caused Quakes
  3. Thermal Quakes
  4. Shallow Quakes

Deep sub 700 km Quakes जो की उसकी इंटर एक्टिविटीज की वजह से होते हैं यह बहुत ही दुर्लभ होते हैं।
Meteorite caused Quakes यानी कि यह Asteroid या Meteors के टकराने की वजह से आते हैं।
Thermal Quake जो कि यहाँ अचानक होने वाले तापमान में बदलाव की वजह से आते हैं।
Shallow Quakes जोकि इसकी सतह से 20 से 30 किमी नीचे आते हैं।

नासा के द्वारा trigger किया गया Moon Quake Shallow Quake की कैटेगरी में आता है। इसी Shallow Quake के प्रभाव से सबसे खतरनाक होते हैं। इस कैटेगरी के कुछ moon Quake Richter scale पर 5.5 की रीडिंग पर भी देखे गए हैं। यह चांद पर naturally भी देखने को मिलते हैं, हालांकि वैज्ञानिक अभी यह नहीं जान पाए हैं कि आखिर यह किस चीज से बन रहे हैं?

इस समय तक ये Moon Quake चांद की बड़ी mysteries में से एक बन चुके थे। इस एक्सपेरिमेंट पर बात करते हुए University of Notre Dame के सिविल इंजीनियरिंग और जियोलाजिकल विज्ञानं के प्रोफेसर Clive r Neal नें एक बार यह कह दिया कि “चांद किसी घंटी की तरह बज रहा है“। साथ ही उन्होंने moon Quake की वाइब्रेशन को tuning fork से Compare कर दिया जो की एक तरह का acoustic resonator होता है।

हालांकि यह बात सिर्फ कहने के लिए थी, सच में चांद किसी रिंग की तरह नहीं बजता है, लेकिन conspiracy theorist नें उसकी कहानी इस बात को गलत तरीके से interpret करके hollow Moon Theory को मजबूत करने की कोशिश की।

आम जनता के मन में यह सवाल हमेशा से रहा है, कि super Powers हमसे कुछ छुपा रही है। जरूर हमसे कुछ छुपाया जा रहा है, फिर चाहे वह Area 51 के बारे में हो, एलियन बेस के बारे में हो, Hollow Moon हो या फिर कोई और खतरनाक चीज। फिर जब हम ऐसी ही कोई चीज conspiracy theory को सुनते हैं, तो हम उस पर ना चाहते हुए भी विश्वास करने लग जाते हैं, क्योंकि कहीं ना कहीं हमारा दिमाग भी हमसे यह कहता है कि “हम सही सही थे, सुपरपावर हमसे इस चीज को छुपाने की कोशिश कर रही थी” कहीं ना कहीं हमारा bias बीच में आ जाता है।

चाँद पर देर तक भूकंप क्यों आते हैं

धरती पर भूकंप की vibration 30sec तक और ज्यादा से ज्यादा 2 मिनट तक रहती है, इसके पीछे का कारण है धरती पर पानी का मौजूद होना। पानी की वजह से चट्टानें अलग-अलग minerals और खुद पानी एक ऐसा compressible structure बना लेते हैं जैसे की foam sponge, जो की वाइब्रेशन को जल्दी खत्म कर देता है। लेकिन मून पर ऐसा कुछ भी नहीं है जो वहां पैदा होने वाले भयानक वाइब्रेशन को रोक पाए।

Moon Quake 5 से 10 मिनट तक चांद को वाइब्रेट करते रहते हैं, लेकिन Apollo 12 को जो Moon Quake था वह कुछ अलग था। करीब 8 मिनट में तो वह अपनी peak value तक पहुंचा था और फिर उसे पूरी तरह से खत्म होने में 1 घंटे से भी ज्यादा का समय लगा। यहीं से चांद के घंटी की तरह बजाने की बात को गलत ट्रांसलेट किया गया, जिससे Hollow Moon का Theory को भी बढ़ावा मिला।

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लेकिन अब हमारे पास एक बेहतर scientific explanation है और वो है कि चांद पर पानी नहीं है और अगर है तो वह solid form में जमा हुआ है। हमारा चाँद पृथ्वी के मुकाबले काफी ज्यादा सूखा है और कठोर है, जिसकी वजह से Moon Quake की वाइब्रेशन इसके आंतरिक भाग में ज्यादा समय तक ट्रैवल करती रहती है।

Hollow moon theory को support करने के लिए एक और claim किया जाता है, चाँद के घनत्व को लेकर माना जाता है कि अगर हमारा चाँद पृथ्वी से ही बना है तो दोनों की density बराबर होनी चाहिए, जबकि चांद की mean density 3.3g/cm3 और पृथ्वी की 5.5g/cm3 है। लेकिन आखिर ऐसा क्यों है?

वैज्ञानिक मानते हैं कि ऐसा दोनों bodies के क्रस्ट, मेंटल और कोर की अलग-अलग density और साइज की वजह से है। Hollow Moon Theory यहां पर आकर दम तोड़ देती है। लेकिन 1970 में Soviet academy 7 sciences के Michel Basin और Alexander slacherbakov इस hypothesis और conspiracy को और आगे ले गए। उन्होंने कहा कि हमारा चाँद किसी अनजान एलियन सभ्यता द्वारा बनाया गया एक Alien Spaceships है। लेकिन उनका ये आर्टिकल “Is the moon the creation of alien intelligence” किसी scientific Journal में पब्लिश नहीं हुआ था, वो बस स्पुतनिक नाम के एक reder digest में पब्लिश किया गया था, जिसे वैसे भी गंभीरता से नहीं लिया जा सकता।

Moon के अलावा हमारी पृथ्वी और मंगल ग्रह के चाँद फोबोस के भी Hollow होने की बातें चलती रहती है, लेकिन Scientifically ऐसा होना Possible नहीं है। सही कहा जाए तो ये थ्योरी सिर्फ Sci-fi Movies में ही अच्छी लगती है।

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